Modern History of India short Notes :
1- यूरोपियों के आगमन के समय भारत की स्थिति
2- भारत में अंग्रेजी सत्ता का एकीकरण तथा विस्तार
3- 1857 से पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध जन- असंतोष
4- 1857 का विद्रोह
5- समाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन
6- स्वतंत्रता संघर्ष का आरम्भ
7- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: स्थापना एवं उदारवादी चरण (1885-1905)
8- उग्र-राष्ट्रवाद का युग (1905 -1918)
9- क्रन्तिकारी गतिविधियाँ (1907 -1918)
10- प्रथम विश्व युद्ध(28 July 1914 – 11 November 1918) और राष्ट्रवादी प्रतुत्तर
11- असहयोग आंदोलन एवं खिलाफत
12- सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-31) तथा गोलमेज़ सम्मलेन
13- स्वराजी, समाजवादी, विचारो एवं नवीन शक्तियों का उदय
14- राष्ट्रीय आंदोलन : स्वतंत्रता और विभाजन की ओर (1939-47)
15- भारत में ब्रिटिश नीतियों का सर्वेक्षण
16- ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यस्था पर प्रभाव
17- कामगार वर्ग का आंदोलन
18- संविधानिक, प्रशासनिक और न्यायिक विकास
19- प्रेस का विकास
20- शिक्षा का विकास
21- महत्वपूर्ण ब्रिटिश सिमितिया व आयोग
22- विशिष्ट आंदोलन से सम्बंधित व्यक्तित्व
23- गवर्नर जनरल का योगदान तथा महत्व
1- यूरोपियो के आगमन के समय भारत की स्थिति:
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यूरोपियो के आगमन के समय भारत की स्थिति |
- यूरोपियो के भारत में आगमन के लिए जिम्मेदार कारक: भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन क्यों हुआ शायद वजह ये भी रही हो जैसे
- भारतीय कीमती वस्तुओ, झींगे, छींट, रेशम, विभिन्न प्रकार के कीमती पत्थर, चीनी मिटटी के बर्तनो इत्यादि की यूरोपीय जैसे देश में बढ़ती मांग और उसकी पूरी तरह से आपूर्ति ना हो पाना
- भारत की बेशुमार व अकूत दौलत
- भारत की उन्नति किस्म की मशाले
- जहाज निर्माण तथा नौ सेना, नौ परिवहन में यूरोपीय की उन्नत तकनीक
भारत में यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम और एशिया में यूरोपियों के विजय का कालखंड :
Trick : पुत्र अडा डैड फसा
पुत्र – पुर्तगाली (1498)
अ – अंग्रेज (1600)
डा – डच (1602)
डैड – डैनिस (1616)
फ – फ्रांसीसी (1664)
सा – स्वीडिश (1731)
भारत में विदेशियों का आगमन का क्रम
पुर्तगाली (1498)> अंग्रेज (1600)>डच (1602)> डैनिस (1616)> फ्रांसीसी- (1664)>स्वीडिश (1731)
पुर्तगालियों का भारत आगमन:
पुर्तगालियों का भारत में आगमन – ADVENT OF PORTUGUESE IN INDIA
टॉरडेसिलस की संधि (1494) - पुर्तगाल तथा स्पेन के बीच अटलांटिक में एक आभासी रेखा के द्वारा पुर्तगाल के लिए पूर्व तथा स्पेन के लिए पश्चिम में गैर ईसाई दुनिया को विभाजित किया गया।
1- वास्कोडिगामा का भारत आगमन:
- वास्कोडिगामा 1498 में आशा अंतरीप द्वीप से होते हुए केरल के कालीकट बंदरगाह पर पंहुचा जो की उसे वक्त के जमोरिन (कालीकट के राजा) के द्वारा उसका भव्य स्वागत किया गया।
- 1502 तक, वास्कोडिगामा की दूसरी यात्रा हुयी जो की उस यात्रा के दौरान कालीकट, कोचीन और कन्नूर में व्यापारिक केन्द्रो की स्थापना की गयी तथा उसकी किले बंदी की गयी
- वास्कोडिगामा की दूसरी बार आने की मुख्य वजह यह थी की जब वह पहली बार में भारत से ले गए मशालों को यूरोप में बेचा तो उसे वास्तविक दामों से तक़रीबन 60-64 गुना का मुनाफा हुआ था।
- अन्य व्यापारियों के विपरीत पुर्तगाली भारत में व्यापार का एकाधिकार चाहते थे
2- पेड्रो अल्वरेज कैब्रल :
- 1500 में, कालीकट में सबसे पहले फैक्ट्री की स्थापना की।
- भारतीय उपमहाद्वीप पर यूरोपियो के शासन के युग की शुरुआत
3- फ्रांसिस्को डी अलमीडा (1505 -1509):
- भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर बन कर आया जिसने भारत में शांत जल की (Blue water policy) ब्लू वाटर नीति "कार्टेज" प्रणाली की शुरुआत की
- इसमें भारतीय भूमि पर किले बनाने के बजाय समुंद्र में शक्तिशाली होने पर बल दिया
- कार्टेज प्रणाली: हिंद महासागर में पुर्तगालियों द्वारा जारी जल परिवहन लाइसेंस या पास
4- अलफांसो डी अलबुकर्क: (1509-1551)
- इसे भारत में पुर्तगाली शक्ति का संस्थापक माना जाता है, इसने बीजापुर से गोवा को जीत लिया और मुस्लिमो पर अत्याचार
- विजयनगर के राजा श्री कृष्ण देव राय (1510) में भटकल को जीत लिया।
- भारत के मूल निवासियों के साथ विवाह करने की नीति का आरम्भ किया
- अलफांसो डी अलबुकर्क के द्वारा अपने प्रभाव क्षेत्र में सती प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाया गया
- 1515 में अलफांसो डी अलबुकर्क की मृत्यु हो गयी थी तथा उस समय पुर्तगाली भारत मे सबसे मजबूत नौ-सैनिक शक्ति के रूप में स्थापित हो चुके थे।
5- नीनू डा कुन्हा (1529- 38):
- इसके द्वारा 1503 में कोचीन की जगह गोवा को राजधानी बनाया गया। इस प्रकार भारत में पुर्तगाली उपनिवेशों की राजधानी गोवा बन गया।
- नीनू डा कुन्हा के शासन काल में, दीव तथा वसाई को गुजरात के राजा बहादुर शाह से छीन लिया गया तथा उस पर पुर्तगालियों का कब्ज़ा हो गया।
- बहादुर शाह 1537 में दीव में पुर्तगाल से लड़ते हुए मारे गए
- यह एक व्यवहारिक नेता था जिसने पश्चिम तटीय क्षेत्र से परे भी पुर्तगाल साम्राज्य का विस्तार किया।
- नीनू डा कुन्हा के समय में पुर्तगाल शक्ति का विस्तार पूर्वी तट तक हुआ
पुर्तगालियों की धार्मिक नीति: प्रारम्भ में, सिर्फ मुस्लिम के प्रति द्वेषपूर्ण, बाद में हिन्दुओ के प्रति भी।1579 में , बादशाह अकबर को ईसाई धर्म में परिवर्तन कराने के लिए ईसाई मिशनरियों को भेजा गया।
भारत में पुर्तगालियों के पतन के लिए जिम्मेदार कारक:
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ADVENT OF PORTUGUESE IN INDIA |
- मिस्र, फारस तथा उत्तरी भारत में शक्तिशाली राज्यवंशों का उदय तथा उनके पड़ोसियों के रूप में मराठाओ का उद्धव
- मिस्र, फारस तथा उत्तरी भारत में शक्तिशाली राज्यवंशों का उदय तथा उनके पड़ोसियों के रूप में मराठाओ का उद्धव
- मिशनरियों की गतिविधियों से राजनितिक भय तथा उत्पीड़न जैसे (न्यायिक जाँच) से घृणा उत्पन्न हुई जो पुर्तगाली आध्यात्मिक दबाव के खिलाफ प्रतिक्रिया का कारन बनी
- पुर्तगाल प्रभुता को चुनौती देने वाली अंग्रेजी तथा डच वाणिज्यिक संस्थाओ का उदय
- भारत में पुर्तगाली शासन की समुद्री डकैती तथा अवैध व्यापार प्रथाओं से साथ बड़े पैमाने के साथ बड़े विस्तृत पैमाने पर भ्रष्टाचार, लालच, एवं स्वार्थ
- ब्राजील की खोज के कारण पुर्तगाली उपनिवेशों का पश्चिम की ओर पलायन।
- गवर्नरों में दूरदर्शिता का अभाव
- व्यापार करने के बुरे ढंग
- अन्यान्य यूरोपीय शक्तियों की प्रतिद्वन्द्विता (डच, अँगरेज़, फ़्रांसिसी आदि)
ब्राजील का पता लग जाने से पुर्तगाल पश्चिम में उपनिवेश बसाने का काम करने लगा. धार्मिक अनुदारता के कारण पुर्तगालियों ने अपने राजा की आज्ञा से 1540 में गोआ टापू के सभी हिन्दू मंदिरों को नष्ट कर डाला.
पुर्तगालियों के आगमन से महत्व:
- पुर्तगालियों ने न केवल यूरोपीय युग की शुरुआत की बल्कि नौ सैनिक शक्ति के उदय को भी चिन्हित किया
- जहाज पर तोप का उपयोग
- प्रिंटिंग प्रेस तकनिकी का इजात
- पुर्तगाल समुद्र में उन्नत तकनीकों में माहिर थे । उन्होंने बहुत बड़ी मात्रा में से एक अधिक डेक वाले जहाजों का निर्माण किया
- मिशनरियो तथा चर्च भी भारत में चित्रकारों, नक्काशी, करने वालो तथा मूर्ति बनाने वालो के संरक्षक थे
- पुर्तगाली संघठन बनाने में बेहद पारंगत थे - जैसे शाही शत्रागार, और जहाज बनाने के स्थान का निर्माण तथा पायलटो की नियमित प्रणाली का रख-रखाव तथा मानचित्रण तथा निजी व्यापारियों के जहाजों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य बलों को खड़ा करना आदि अधिक उल्लेखनीय है।
- इन्होने युद्ध की यूरोपीय कला की शुरुआत की
- गोवा में चाँदी के काम करने वाले तथा सोने के काम करने वाले सुनार की कला का विकास
पुर्तगालियों के आगमन से भारत पर प्रभाव:
- यहाँ तम्बाकू की खेती पुर्तगालियों की ही देन है. फूलगोभी, टमाटर, हरी मिर्च, रसभरी, पपीता, आलू, मूंगफली इत्यादि कृषि फसलें भारत में पुर्तगाली ही लाये.
- भारत के पश्चिमी और पूर्वी तट में कैथोलिक धर्म का प्रचार जम कर किया गया और इस प्रकार भारत में ईसाइयत के आगमन का ये माध्यम बने.
- पहली प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना भारत में इन्होंने ने ही की.
- पुर्तगालियों के साथ ही भारत में गोथिक स्थापत्यकला का आगमन हुआ.
- पुर्तगाली शासन भारत में लगभग 450 सालों (1961 तक) तक रहा जिससे भारत पर व्यापार प्रभाव पड़े.
भारत में डचो का आगमन (1602) :
कॉर्नेलिस डी हॉटमैन पहला डच था जो १५९६ में सुमात्रा और बेंटेन पंहुचा था।
डच संसद के एक चार्टर के द्वारा मार्च १६०५ में यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गयी थी, इन्हे युद्ध करने, संधिया करने तःथा किले बनाने में महारथ हासिल थी जो अपने इस काम को बहुत ही कुशल पूर्वक कर लिया करते थे
आंध्र क्षेत्र में 1605 में मसुलीपट्टम में पहले कारखाने की स्थापना हुई थी
कहा जाता है की वे बाद में पुर्तगालियों को हराकर व्यापारिक शक्ति के प्रमुख के रूप में उभरे
भारत में उनका प्रमुख केंद्र पुलिकत था, जिसे बाद में नेगापट्टम में स्थापित किया गया
डच यमुना घाटी तथा मध्य भारत में उत्पादित नील (इंडिगो), बंगाल, गुजरात, तथा कोरोमंडल क्षेत्र से उत्पादित वस्त्र तथा रेशम, बिहार से शोरा, और गंगा घाटी से उत्पादित अफीम, चावल का व्यापर करते थे।
1623 में, अंग्रेजो तथा डचों के बीच में एक संधि हुई - डचो ने भारत में तथा अंग्रेजो ने इंडोनेशिया में अपने अधिकार क्षेत्र के दावों को वापस ले लिया।
1650 (लगभग 17वीं शताब्दी), अंग्रेज भारत में एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरने लगे।
करीब 70 वर्षो तक अंग्रेजो तथा डचो के बीच में लड़ाई जारी रही जिसमे डच एक एक करके अपनी बस्तिया/ उपनिवेशों को अंग्रेजोके हाथो खोते रहे।
डचो को भारत में साम्राज्य स्थापित करने में कोई ज्यादा दिलचस्प्पी नहीं थी, वे तो केवल व्यापर करना चाहते थे न की अंग्रेजो की तरह लूट खसोट , उनका मुख्या व्यसायिक इंडोनेशिया के स्पाइस द्वीप समूहों में था। जहा से वे व्यापार के माध्यम से बड़ा लाभ अर्जित करते थे।
डच का भारत में पतन और इसके कारन :
आंग्ल डच युद्धों में डचो की हार एवं उनका ध्यान मलय द्वीप समूहों की और स्थान्तरित
बेदरा के युद्ध जो की (1759) में अंग्रेजो के द्वारा डचो को हराया गया।
युद्ध के लम्बे समय बाद दोनों दोनों पक्षों के द्वारा एक समझौता किया गया जिसके तहत अंग्रेजो ने इंडोनेशिया से अपने सभी दावों को वापस ले लिया तथा डचो के द्वारा भारत में अपने सभी दावों को वापस ले लिया गया।
भारत में डच फैक्ट्री कहाँ थी?
डचो के द्वारा स्थापित की गयी फैक्ट्रियों :
मसूलीपट्टम (1605)
पुलिकत (1610)
सूरत (1616)
विमलीपट्टम (1641)
करिकल (1645)
चिनसुर (1653)
कासिमबाजार, बरानागौर, पटना, बालासोर, नेगापट्टम (1658) में फैक्टरियों की स्थापना की गयी। इसमें पूर्वी तथा पश्चिमी दोनों घाट शामिल थे
भारत आने वाला पहला डच यात्री कौन था?
Ans: भारत आने वाला पहला डच यात्री 'कॉर्नेलिस डी हॉटमैन' पहला डच था जो 1596 में सुमात्रा और बेंटेन पंहुचा था।
ब्लू वाटर पालिसी क्या है?
Ans: भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर बन कर आया जिसने भारत में शांत जल की (Blue water policy) ब्लू वाटर नीति "कार्टेज"
भारत में पुर्तगालियों का पहला गवर्नर कौन था?
Ans: फ्रांसिस्को डी अलमीडा (1505 -1509) भारत में पुर्तगालियों का पहला गवर्नर बन कर आया जिसने भारत में शांत जल की (Blue water policy) ब्लू वाटर नीति "कार्टेज" प्रणाली की शुरुआत की .इसमें भारतीय भूमि पर किले बनाने के बजाय समुंद्र में शक्तिशाली होने पर बल दिया कार्टेज प्रणाली: हिंद महासागर में पुर्तगालियों द्वारा जारी जल परिवहन लाइसेंस या पास
upcoming article:
अंग्रेजो का भारत आगमन:
भारत में फ़्रांसिसीयो आगमन
Key Point:
भारत में यूरोपियों का आगमन का क्रम क्या है?
भारत में सबसे पहले कौन आया था?
अंग्रेजों ने भारत में पहली फैक्ट्री कहाँ खोली?
सबसे पहले भारत में व्यापार करने कौन आया?
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन क्यों हुआ
भारत में सर्वप्रथम कौन सा यूरोपीय व्यापारी आया
भारत में अंग्रेजों का आगमन
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन पीडीऍफ़
भारत में डचों का आगमन
भारत में आने वाले सर्वप्रथम व्यापारी कौन थे
पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई
भारत में यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम
भारत में यूरोपियों का आगमन का क्रम
भारत में विदेशियों का आगमन का क्रम
भारत में सर्वप्रथम कौन सा यूरोपीय व्यापारी आया
मध्यकाल में यूरोप वासियों के भारत आगमन के क्या कारण थे
भारत में आने वाले सर्वप्रथम व्यापारी कौन थे
भारत में यूरोपियों का आगमन MCQ
भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारण
डच भारत कब आए
यूरोपीय व्यापारियों के भारत आगमन का सही क्रम कौन सा है?
भारत में सर्वप्रथम कौन सा व्यापारी आया?
पुर्तगालियों ने भारत में सर्वप्रथम कहाँ फैक्ट्री स्थापित किया?
ब्लू वाटर पालिसी क्या है?
भारत में पुर्तगालियों का पहला गवर्नर कौन था?
भारत में सबसे पहले कौन आया था?
अंग्रेजों ने भारत में पहली फैक्ट्री कहाँ खोली?
सबसे पहले भारत में व्यापार करने कौन आया?
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन क्यों हुआ
भारत में सर्वप्रथम कौन सा यूरोपीय व्यापारी आया
भारत में अंग्रेजों का आगमन
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन पीडीऍफ़
भारत में डचों का आगमन
भारत में आने वाले सर्वप्रथम व्यापारी कौन थे
पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई
भारत में यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम
भारत में यूरोपियों का आगमन का क्रम
भारत में विदेशियों का आगमन का क्रम
भारत में सर्वप्रथम कौन सा यूरोपीय व्यापारी आया
मध्यकाल में यूरोप वासियों के भारत आगमन के क्या कारण थे
भारत में आने वाले सर्वप्रथम व्यापारी कौन थे
भारत में यूरोपियों का आगमन MCQ
भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारण
डच भारत कब आए
यूरोपीय व्यापारियों के भारत आगमन का सही क्रम कौन सा है?
भारत में सर्वप्रथम कौन सा व्यापारी आया?
पुर्तगालियों ने भारत में सर्वप्रथम कहाँ फैक्ट्री स्थापित किया?
ब्लू वाटर पालिसी क्या है?
भारत में पुर्तगालियों का पहला गवर्नर कौन था?
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