क्या मुंबई चेन्नई जैसे शहर 2050 तक डूब जायेंगे


भारत में करोड़ों लोगों पर मंडराया नया खतरा- IPCC REPORT 2022| Climate Change 


भारत में जलवायु परिवर्तन 4 करोड़ लोगों के लिए बड़ा संकट बनने जा रहा है। इंटर गवर्मेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से भारत में मुंबई, चेन्‍नै जैसे तटीय शहरों के इलाके पानी में डूब जाएंगे। इससे पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन कितना बड़ा खतरा बनने जा रहा है। 

अपने आज के एपिसोड में हम जानेंगे कि क्या होता है ग्लोबल वार्मिंग,  आईपीसीसी क्या है,  इसकी रिपोर्ट में भारत से संबंधित किन  तथ्यों पर बात की गई है तथा इससे संबंधित अन्य पहलुओं की भी चर्चा करेंगे। 

साथ ही साथ यह भी देखते चलेंगे की उत्तर प्रदेश पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में यहां से किस प्रकार के प्रश्न बन सकते हैं।

 तो बात शुरू करते हैं ग्लोबल वार्मिंग से, ग्लोबल वार्मिंग का हिंदी अर्थ होता है वैश्विक गर्मी । वैश्विक गर्मी से आशय होता है कि मानव के विभिन्न क्रियाकलापों द्वारा पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होना। विश्व की विभिन्न एजेंसियां इस पर अपना शोध करके आंकड़ों को बताती रहती है।

Climate Change REPORT 2022
Climate Change REPORT 2022


 संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईपीसीसी जिसका फुल फॉर्म होता है Intergovernmental Panel on Climate Change.इस संस्था ने भी वैश्विक गर्मी से संबंधित एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें भारत से संबंधित कुछ तथ्यों की चर्चा की गई है। 

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर इंटर गवर्मेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की ताजा रिपोर्ट में भारत के लिए कई चिंताजनक तथ्‍य सामने आए हैं।हिंद महासागर से तीन तरफ से घिरे भारत में जलवायु परिवर्तन तबाही मचा सकता है। 

इस रिपोर्ट की मानें तो भारत एक ऐसा देश है जो जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक आर्थिक रूप से प्रभावित है। यही नहीं सदी के अंत तक भारत में 4.5 से लेकर 5 करोड़ लोग खतरे में होंगे।


 मुंबई, चेन्‍नै, गोवा जैसी जगहों पर तटीय इलाके समुद्र में डूब सकते हैं।आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है और भारतीय समुद्र तट की कुल लंबाई 7516.6 किलोमीटर है।


 ऐसे में भारत अपनी जनसंख्या की वजह से समुद्र स्तर में वृद्धि से प्रभावित होने वाले देशों में सबसे खराब स्थिति में है। भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के चलते वार्षिक तटीय बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है।

अगर यही हाल रहा तो देश के तटीय शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई, गोवा, विशाखापत्तनम, ओडिशा में बढ़ते समुद्री जलस्तर से निचले इलाके जलमग्न हो जायेंगे। इन शहरों में समुद्र के 0.8 डिग्री गर्म हो जाने से चक्रवातों की आने की दर बढ़ने और उनकी तीव्रता बढ़ने से वे और उग्र होकर बार-बार आने लगे हैं। 

इसका असर इन तटीय शहरों के नागरिकों के जीवन पर पड़ रहा है। इन शहरों के लोगों को गर्म हवाओं और भारी वर्षा का सामना करना पड़ रहा है। अब  अब देखते हैं उत्तर प्रदेश  पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में यहां से किस प्रकार का प्रश्न बन सकता है 


प्रश्न -1  United Nations की वह संस्था जो वैश्विक तापमान वृद्धि (ipcc climate report) से सम्बंधित आँकड़ों को प्रकाशित करतीं रहती है, वो संस्था है ?

A UNHC

B UNCTAD

C IPCC

D WHO 


Ans: IPCC 


प्रश्न-2 भारतीय समुंद्र तट की कुल लम्बाई लगभग कितनी है ?

A 7561 KM

B 7571 KM

C 8231 KM

D 4562 KM


ANS: 7561 KM

भारतीय समुद्र तट की कुल लंबाई 7516.6 किलोमीटर है। इसमें से भारतीय मुख्य भूमि का तटीय विस्तार 6300 किलोमीटर तथा द्वीप क्षेत्र अंडमान निकोबार एवं लक्षद्वीप का संयुक्त तटीय विस्तार 1216.6 किलोमीटर है।


प्रश्न -3 IPCC की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय समुद्री जल क्षेत्र का औसत तापमान में वृद्धि हुई है?


A 0.8 डिग्री  

B 0.1 डिग्री

C 0.9 डिग्री

D 1.8 डिग्री


ANS: 0.8 डिग्री 


इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है, की उन संस्थाओ में से है, जो जलवायु परिवर्तन के चलते असहनीय परिस्थियों का सामना करेगा। 

भारत के मैदानी शहरों में जैसे, दिल्ली, पटना, लखनऊ, हैदराबाद, में जलवायु परिवर्तन के चलते गर्मी में असहनीय तापमान, जानलेवा गर्मी और साडी के मौसम में अधिक (भयानक) सर्दी जैसी चरम मौसमी स्थितियों बन चुकी है। 


अगर हम रिपोर्ट की बात करे तो वेट-बल्ब यानि की गर्मी और उमस  को जोड़ कर देखने वाले तापमान अगर 31 डिग्री हो तो यह मनुष्य के लिए बेहद खतरनाक है।  


जबकि 35 डिग्री तापमान पर 6 घंटे से अधिक सहन से बहार हो जाता है (IPCC climate report) ऐसे में भारत के कई हिस्से सदी के अंत तक कई शहर 31 डिग्री सेल्सियस वेट-बल्ब गर्मी का अहसास करेंगे। 


अगर उत्सर्जन में वृद्धि जारी रही तो लखनऊ और पटना 35 डिग्री के वेट-बल्ब पर तापमान पहुंच जायेगा, इसके बाद चेन्नई, मुंबई, भुवनेश्वर, इंदौर, अहमदाबाद में वेट-बल्ब तापमान 32-34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने लगा है। 


कुल मिलाकर कहे तो, असम, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब में सबसे अधिक प्रभावित होंगे। 


अगर आप देखे तो हिमालयी क्षेत्र की तो वहाँ पर ग्लेशियर की कमी से तो कभी, बाढ़, भूस्खलन, सूखा, जैसे पर्यावरणीय दुष्प्रभाव से स्थितियो ऐसे हो चुकी है।  जिसका भरपाई कर पाना असम्भव सा लग रहा है, इसमें चमोली (UK) जैसे हालत की कही पुनरावृत्ति न हो जाये। 


भारत में लगभग 40 प्रतिशत लोग 2050 तक पानी की कमी के साथ रहेंगे, जबकि अभी यह संख्या एक आकड़े के मुताबिक 33% फीसदी तक है। 


गंगा और ब्रम्हपुत्र दोनों नदियों में भी जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरुप बाढ़ में वृद्धि देखि जाएगी।  तेजी से पिघल रहे बर्फ व ग्लेशियर की वजह से भारत में लगभग 40% लोग 2050 तक पानी की किल्लत में होंगे जबकि अभी यह आँकड़ा 33% प्रतिशत है। 

राष्ट्रगान से जुड़ी कुछ रोचक बातें | Interesting facts about Indian National Anthem

भारतीय इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक पालिसी के शोध निदेशक डॉ अंजल प्रकाश बताते है, की बढ़ाते GLOBAL WARMING के कारन भारत में ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्र में डेंगू और मलेरिया फैल रहा है 



आईये इस ARTICLE से समबन्धित प्रश्नो को समझते है -


दिए गए विकल्पों में कौन-सा विकल्प वेट-बेल्ट temperature की विशेषता दर्शाता है?


A - 100 % सापेक्ष आर्द्रता (जब हवा संतृप्त रेखा पर हो) के सामान

B - 50 % सापेक्ष आर्द्रता (जब हवा संतृप्त रेखा पर हो) के सामान

C - 10 % सापेक्ष आर्द्रता (जब हवा संतृप्त रेखा पर हो) के सामान

D - 20 % सापेक्ष आर्द्रता (जब हवा संतृप्त रेखा पर हो) के सामान

120 किलो सोने से बना काशी विश्वनाथ मंदिर और जगमग हुआ काशी | Kashi Vishwanath Temple

ANS: 100 % सापेक्ष आर्द्रता (जब हवा संतृप्त रेखा पर हो) के सामान


यदि यही वायु 210 से. पर वास्तव में 22.2 ग्राम आर्द्रता धारण किए हुए हो तो उसकी सापेक्ष आर्द्रता 22.2/22.2X100 अर्थात 100 प्रतिशत होगी। जब वायु की सापेक्ष आर्द्रता शत प्रतिशत होती है तो वायु संतृप्त हो जाती है। यदि सापेक्ष आर्द्रता 100 प्रतिशत से कम है तो वायु असंतृप्त कहलाती है।  

What is the ipcc?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा 1988 में बनाया गया, IPCC का उद्देश्य सभी स्तरों पर सरकारों को वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना है जिसका उपयोग वे जलवायु नीतियों को विकसित करने के लिए कर सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन वार्ताओं में आईपीसीसी रिपोर्ट भी एक महत्वपूर्ण इनपुट हैं। 

IPCC सरकारों का एक संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र या WMO के सदस्य हैं। IPCC में वर्तमान में 195 सदस्य हैं। दुनिया भर से हजारों लोग आईपीसीसी के काम में योगदान करते हैं। मूल्यांकन रिपोर्ट के लिए, विशेषज्ञ हर साल प्रकाशित होने वाले हजारों वैज्ञानिक पत्रों का आकलन करने के लिए आईपीसीसी लेखकों के रूप में अपना समय स्वेच्छा से देते हैं ताकि जलवायु परिवर्तन, इसके प्रभावों और भविष्य के जोखिमों और अनुकूलन और शमन कैसे हो सकता है, के बारे में एक व्यापक सारांश प्रदान किया जा सके। 

उन जोखिमों को कम करें। दुनिया भर के विशेषज्ञों और सरकारों द्वारा एक खुली और पारदर्शी समीक्षा IPCC ar5  प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है, ताकि एक उद्देश्य और पूर्ण मूल्यांकन सुनिश्चित किया जा सके और विविध प्रकार के विचारों और विशेषज्ञता को प्रतिबिंबित किया जा सके। अपने आकलन के माध्यम से, IPCC विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक समझौते की ताकत की पहचान करता है और इंगित करता है कि आगे के शोध की आवश्यकता है। आईपीसीसी अपना खुद का शोध नहीं करता है।


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