Supermoon 2022: 13 जुलाई को पृथ्वी और चाँद के बीच की बीच की दुरी होगी सबसे कम


Supermoon 2022: 13 जुलाई को पृथ्वी और चाँद के बीच की बीच की दुरी होगी सबसे कम- Super Moon UPSC Shorts Notes


प्रमुख बिंदु : 


सुपरमून: Supermoon


यह उस स्थिति को दर्शाता है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के सर्वाधिक निकट और साथ ही पूर्ण आकार में होता है।

Supermoon 2022
Supermoon 2022


  • चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान एक समय दोनों के मध्य सबसे कम दूरी हो जाती है जिसे उपभू (Perigee) कहा जाता है और जब दोनों के मध्य सबसे अधिक दूरी हो जाती है तो इसे अपभू (Apogee) कहा जाता है।
  • चूँकि पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी से कम-से-कम दूरी के बिंदु पर दिखाई देता है और इस समय यह न केवल अधिक चमकीला दिखाई देता है, बल्कि यह सामान्य पूर्णिमा के चंद्रमा  से भी बड़ा होता है।
  • नासा के अनुसार, सुपरमून शब्द वर्ष 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल द्वारा दिया गया था। एक सामान्य वर्ष में दो से चार पूर्ण सुपरमून और एक पंक्ति में दो से चार नए सुपरमून हो सकते हैं।


Supermoon 2022: 13 जुलाई को पृथ्वी और चाँद के बीच की बीच की दुरी होगी सबसे कम।


वाशिंगटन, एजेंसी: 13 जुलाई, 2022 को पृथ्वी और चद्रमा के बीच की दुरी सबसे कम हो जाएगी।  इसी कारण रात में पृथ्वी के आसमान में सुपरमून (Supermoon)  देखने को मिलेगा। चाँद इस दौरान पृथ्वी से सिर्फ 357,264 KM की बस दुरी होगा।

कल इस सुपरमून का सीधे, तौर से समुद्र पर प्रभाव भी देखने को मिलेगा। सुपरमून के कारण उच्च और कम ज्वार की एक बड़ी श्रृंखला देखने को मिल सकती है। खगोलविदों का मानना है कि सुपरमून के दौरान तटीय इलाकों में आने वाले तूफान से बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है। 

full-moon credit Pixabay
Full-moon credit Pixabay


इसके घटना के बाद कुछ ही घंटो में सुपरमून के बाद फुलमून होगा। 'फुलमून' (FullMoon) को 2-3 दिन तक आसानी से देखा जा सकता है।दरसल ये वास्तविक फुलमून नहीं होगा, लेकिन चांद के आकार के कारण ये उसी तरह दिखाई देखा। इसके साथ ही इस दौरान चांद पर परछाई की स्ट्रिप बहुत पतली दिखाई देगी और बदलाव इतना धीरे होगा कि ये फुलमून की ही तरह लगेगा। इंसानी आंखों के लिए इस प्रक्रिया को देख पाना मुश्किल है।


What is Super moon -क्या होता है सुपरमून?


What is Super moon -क्या होता है सुपरमून Image Credit: pixabay
What is Super moon -क्या होता है सुपरमून Image Credit: pixabay


सुपरमून (Supermoon) का मतलब ये नहीं है कि चाँद के पास कुछ खास तरह की ताकत आ जाएगी।बल्कि, सुपरमून का मतलब है कि इस दौरान चांद समान आकार से ज्यादा बड़ा दिखेगा। इसके अलावा पहले से कुछ ज्यादा ही चमकदार भी दिखेगा। ऐसा इसलिए होता है कि चांद धरती की कक्षा के बहुत करीब आ जाता है। इस पोजिशन को परीजी (Perigee) कहते हैं। इसके अलावा पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान चांद दूर भी जाता है, जिसे अपोजी (Apogee) कहते हैं। इस दौरान चांद पृथ्वी से 4,05,500 किमी दूर होता है।


चर्चा में क्यों?


  • 13 जुलाई 2022  को  सुपरमून (Supermoon) घटित हुईं।


आइये! जान लेते है कि चंद्र ग्रहण क्या और है और ये कैसे होता है ?


प्रमुख बिंदु


चंद्र ग्रहण:


परिचय:


  1. चंद्रग्रहण तब होता है,जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है।  
  2. इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे की बिल्कुल सीध में होते हैं और यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है।
  3. सर्वप्रथम चंद्रमा पेनुम्ब्रा (Penumbra) की तरफ चला जाता है-पृथ्वी की छाया का वह हिस्सा जहाँ सूर्य से आने वाला संपूर्ण प्रकाश अवरुद्ध नहीं होता है। चंद्रमा के भू-भाग का वह हिस्सा नियमित पूर्णिमा की तुलना में धुँधला दिखाई देगा।
  4. और फिर चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) में चला जाता है, जहाँ सूर्य से आने वाला प्रकाश पूरी तरह से पृथ्वी से अवरुद्ध हो जाता है। इसका मतलब है कि पृथ्वी के वायुमंडल में चंद्रमा की डिस्क द्वारा परावर्तित एकमात्र प्रकाश पहले ही वापस ले लिया गया है या परिवर्तित किया जा चुका है।


पूर्ण चंद्रग्रहण:


  • इस दौरान चंद्रमा की पूरी डिस्क पृथ्वी की कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) में प्रवेश करती है, इसलिये चंद्रमा लाल (ब्लड मून) दिखाई देता है। हालाँकि यह हमेशा के लिये नहीं रहेगा।
  • लगभग 14 मिनट के पश्चात्, चंद्रमा पृथ्वी के कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) से बाहर निकलकर  वापस अपने पेनुम्ब्रा में आ जाएगा। कुल मिलाकर यह चंद्र ग्रहण कुछ घंटों तक चलेगा।
  • लाल प्रकाश में नीले प्रकाश की तुलना में लंबी तरंग दैर्ध्य होती है, जो चंद्र ग्रहण को अपना विशिष्ट लाल रंग प्रदान करता है। 
  • पृथ्वी पर हम सूर्योदय और सूर्यास्त के समय समान प्रभाव देखते हैं, जब आकाश दिन की तुलना में अधिक लाल होता है।


पूर्ण सूर्य ग्रहण:


  • पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अँधेरा छा जाता है।
  • इस घटना के दौरान चंद्रमा सूर्य की पूरी सतह को ढक लेता है। आंशिक और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के केवल एक हिस्से को ढकता है।
  • जब चंद्रमा सूर्य की सतह को पूरी तरह से ढक लेता है तो इस समय केवल सूर्य का कोरोना (Sun Corona) दिखाई देता है।
  • इसे पूर्ण ग्रहण इसलिये कहा जाता है क्योंकि इस समय आकाश में अंधेरा हो जाता है और तापमान गिर सकता है।


स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, Drishti  IAS, Navbharattimes 

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