हेडलाइन: अमित शाह ने श्रीनगर में वस्तुतः 'स्टैच्यू ऑफ पीस' का अनावरण किया
स्वामी रामानुजाचार्य: UPSC Shorts Notes
- केंद्रीय गृहमंत्री ने “स्टेच्यू ऑफ पीस” वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिये जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में स्वामी रामानुजाचार्य की प्रतिमाका अनावरण किया। स्वामी रामानुजाचार्य वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने समूचे भारत की यात्रा की और समानता तथा सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर बल दिया।
- उनकी शिक्षाओं ने भक्ति आंदोलन के संतों को प्रेरित किया और उन्हीं के शिष्य रामानंद ने भक्ति आंदोलन की शुूरुआत की।
- मध्य युगीन संत कवियों अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई की रचनाएंँ उनके दर्शन से प्रभावित रहीं। रामानुज सदियों पहले लोगों के सभी वर्गों के बीच सामाजिक समानता के पैरोकार रहे और उन्होंने समाज में जाति या स्थिति से परे सभी के लिये मंदिरों के दरवाज़े खोलने हेतु प्रोत्साहित किया, वह भी एक ऐसे समय में जब कई जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
- उन्होंने शिक्षा को उन लोगों तक पहुँचाया जो इससे वंचित थे। उनका सबसे बड़ा योगदान ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा का प्रचार है, जिसका अनुवाद प्रायः ‘सारा ब्रह्मांड एक परिवार है’, के रूप में किया जाता है।
- रामानुज ने वैष्णव धर्म का प्रचारक थे उन्होंने भक्ति मार्ग को मोक्ष का मार्ग बताया
WIKIPEDIA: रामानुजाचार्य
जन्म | लक्ष्मण १०१७ ईसवी सन्। श्रीपेरुमबुदुर, चोला साम्राज्य (वर्तमान तमिलनाडु, भारत) | केशवसोमयाजी (पिता) | कंथिमेठी देवी (माता) |
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मृत्यु | ११३७ ईसवी सन्। श्रीरंगम, तमिल नाडु, भारत | ||
गुरु/शिक्षक | श्री यामुनाचार्य | ||
दर्शन | विशिष्टाद्वैत | ||
खिताब/सम्मान | श्रीवैष्णवतत्त्वशास्त्र के आचार्य | ||
साहित्यिक कार्य | वेदान्तसंग्रहम्, श्रीभाष्यम्, गीताभाष्यम्, वेदान्तदीपम्, वेदान्तसारम्, शरणागतिगद्यम्, श्रीरंगगद्यम्, श्रीवैकुण्ठगद्यम्, नित्यग्रन्थम् | ||
धर्म | हिन्दू | ||
दर्शन | विशिष्टाद्वैत |
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खबरों को विस्तार से सझते है:
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज 07 जुलाई, 2022 श्रीनगर में 'स्वामी रामानुजाचार्य की 'स्टैच्यू ऑफ पीस' का वस्तुतः अनावरण किया, जो सोनवर क्षेत्र के एक मंदिर में स्थित है।
- प्रतिमा का अनावरण करते हुए शाह ने कहा, "यह न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे देश में शांति का संदेश होगा... गुजरात सरकार भी अगले साल रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्थापित करेगी।"
- इससे पहले, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में हैदराबाद में संत रामानुजाचार्य की 216 फीट की प्रतिमा का अनावरण किया था।
- संत रामानुजाचार्य, जिन्हें रामानुज के नाम से भी जाना जाता है, एक महान विचारक, दार्शनिक और समाज सुधारक माने जाते हैं, जो तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पैदा हुए एक दक्षिण भारतीय ब्राह्मण हैं।
- रामानुज को अस्पृश्यता के भेदभाव के खिलाफ विद्रोह करने और समाज में एक बड़ा बदलाव लाने में भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। वह वैष्णववाद के अनुयायी हैं और लोगों को मोक्ष के सिद्धांत सिखाते हैं। उन्होंने श्री भाष्य, वेदार्थ संग्रह और भगवद गीता भाष्य सहित कई किताबें लिखीं, जो उनके विश्वास के आधार पर आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं से अलग हैं।
रामानुजाचार्य ग्रन्थों की रचना:
- इन्होंने भक्तिमार्ग के समर्थ में गीता और ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखा। वेदान्त सूत्रों पर इनका भाष्य श्रीभाष्य के नाम से प्रसिद्ध है।
- रामानुज-विरचित सर्वप्रथम ग्रंथ 'वेदान्त संग्रह' है, जिसमें उन्होंने उन श्रंति वाक्यों की रचना की है, जो अद्वैतवादियों के अनुसार अभेद की स्थापना करते हैं।
- ब्रह्मसूत्र के भाष्य पर लिखे उनके दो मूल ग्रन्थ सर्वाधिक लोकप्रिय हुए - श्रीभाष्यम् एवं वेदान्त संग्रहम्।
रामानुज के शिष्य – रामानुज के शिष्यों में प्रमुख शिष्य List
- किदंबी आचरण
- थिरुकुरुगाई प्रियन पिल्लान
- दाधुर अझवान
- मुदलीयानंदन
- कुराथाझवान
रामानुजाचार्य शिक्षा व विचार:
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रामनुजचार्य की २१६ फुट ऊँची 'समता प्रतिमा' Source: Wikipedia |
रामानुजाचार्य के द्वारा अपने शिष्यों को दी गई शिक्षाएँ इस प्रकार है -
- ईश्वर की भक्ति और उनके भक्तो के सेवा करने में विश्वास
- अपनी इंद्रियों को सदैव वश में करने के लिए तत्पर
- काम, क्रोध , मान , माया , लोभ, मद ये आपके शत्रु है इनसे सदैव दूर रहो ।
- प्रभु और मनावत की सेवा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दो ।
- भक्ति मार्ग पर चलो
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