Dark web: Dark web browser use के खतरों को लेकर उत्तर प्रदेश में अलर्ट जारी


डार्क वेब सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा खतरा बन सामने आये हैं, खुलासाः 


हुआ है की डार्क वेब पर ड्रग तस्करी के साथ-साथ Child पोर्नोग्राफी, आतंकी संगठन AK-47 व अन्य खतरनाक असलहो की खरीद-फरोख्त और बड़ी कंपनियों का डाटा किडनैप कर रैनसम माँगने की घटनाये बड़े ही धडल्ले से हो रहा है। 

नवजीतन, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के DGP को इस पर पूरी पुख्ता तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। हैरत कर देने वाली बात यह है की देश के अधिकांश  राज्यों की पुलिस Dark Web को लेकर पूरी तरह IT विशेषज्ञों से लैस नहीं है। 

डार्क वेब
डार्क वेब 


हाल के दिनों में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने देश भर में बड़े पैमाने पर ड्रग बरामदगी और गिरफ़्तारी की समीक्षा की। इस दौरान ख़ुफ़िया एजेंसियों ने खुलासा किया डार्क वेब के जरिये बड़े अंतर्राष्ट्रीय ड्रग स्मगलर विश्व के किसी कोने से भारत में बड़े ड्रग कन्साइनमेंट भेज रहे है। 


नारकोर्टिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो द्वारा गुजरात और UP के मुजफ्फरनगर में हुयी बरामदगी में भी ऐसे तार सामने आये, IB और अन्य एजेंसियों ने गंभीरता से पड़ताल की तो डार्क वेब पर सैकड़ो साइटों का पता चला है जो खुलेआम हेरोइएन-स्मैक और कोकीन बेच रहे है। 


हैरत तब हुयी जब ये पता चला की इसका नेटवर्क भारत ने तेजी से बढ़ता जा रहा है।  इसी के साथ यह भी जानकारी सामने आयी की पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन डार्क वेब के जरिये ही जेहादी एजेंडा आगे बढ़ा रहे है और क्रिप्टो करेंसी में आतंकी मकसद से लेन-देन किया जा रहा है। 

डार्क वेब browser using TOR
डार्क वेब browser using TOR


डार्कवेब के जरिये child pornography की सबसे ज्यादा मांग सामने आयी है, पोर्नोग्राफी इसके जरिये UP ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में दूर दराज के लोगो तक पहुंच रहे है। 


8 राज्यों की पुलिस की मदद वाले साइबर विशेषज्ञ रक्षित टंडन कहते है- की इसे रोकपाना तो नामुमकिन है लेकिन है राज्य की पुलिस को सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों की पुख्ता टीम तैनात करनी होगी, जो पुलिस के साथ मिलकर IT विशेषज्ञों के रूप में Dark web की मॉनिटरिंग कर सके और एटीएस-एसटीएफ की मदद से इसे रोका जा सके। साथ ही पुलिस के तकनीकी काडर की स्थापना करनी होगी।



क्या है डार्कवेब:



साइबर वर्ल्ड की एक ऐसी दुनिया जिसे आम आदमी नहीं पहुंच सकता। इस तक आम सर्च इंजन के जरिये नहीं पहुंचा जा सकता जैसे की हम गूगल क्रोम, गूगल सर्च इंजन और बिंग सर्च इंजन या डक डक जो आदि आप ये मान के चलिए की नार्मल यूजर यहाँ तक की पूरी दुनिया ४ से १० प्रतिशत ही इंटरनेट का उपयोग कराती है बाकि के सारे इंटरनेट का इस्तेमाल डार्क वेब पर ही किया जाता है। 

 इसको एक्सेस करने के लिए एक विशेष प्रकर का सेर्च इंजन का प्रयोग करना होता है जिसे TOR वेब ब्राउज़र के नाम से जाना जाता है । इसकी कोई इनडेक्सिंग नहीं होती। क्योंकि इसमें कोई आईपी एड्रेस जैसी कोई चीज नहीं होती। इसके लिए टॉर ब्राउजर की जरूरत होती है।


क्या-क्या है डार्कवेब के खतरे में


क्रेडिट व डेबिट कार्ड के पिन नंबर समेत पूरा डाटा, ओटीटी खातों का डाटा, हैकिंग सर्विस, कंपनियों के महत्वपूर्ण डाटा बेस, बैंक खाते आदि। 


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