What Is Leprosy & Symptoms UPSC short notes pdf


Kushtarog: कुष्ठ रोग के लक्षण और इलाज |  UPSC short notes pdf 


कुष्ठ रोग: World Leprosy Day 2022

Kushtarog: कुष्ठ रोग के लक्षण और इलाज
Kushtarog: कुष्ठ रोग के लक्षण और इलाज



अभी हाल ही के रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ महीनो से निजी बाजार (Private House) में कुष्ठ रोग (Leprosy) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दवा 'क्लोफेजिमीने (Clofazimine)' की भरी कमी बानी हुयी है। 


क्लोफेजिमीने, clofazimine रिफैम्पिसिन (Rifampicin) और डिप्सोंन के साथ मल्टिबैसिलरी लेप्रोसी (MB- MDT) मामले के मल्टी-ड्रग-ट्रीटमेंट में तीन आवश्यक दवाओं में से एक है। 

कुष्ठ रोग दिन का इतिहास:


  • इस दिन की शुरुआत 1954 में फ्रांसीसी परोपकारी और लेखक, राउल फोलेरो (Raoul Follereau) ने महात्मा गांधी के जीवन को श्रद्धांजलि के रूप में की थी, जो कुष्ठ से पीड़ित लोगों के लिए करुणा रखते थे।
  • इस वर्ष विश्व कुष्ठ दिवस 2022 की थीम  "यूनाइटेड फॉर डिग्निटी (United for Dignity)" है।



कुष्ठ रोग के बारे में, कुष्ठ रोग क्या होता है। What is leprosy in Hindi


कुष्ठ रोग एक पुराना रोग है, प्रगतिशील जीवाणु संक्रमण है। यह 'माइक्रो बैक्टीरियम लेप्रे' नामक जीवाणु के कारन होता है, जो एक 'Acid Fast रॉड' के आकर का बेसिलस है यह मुख्य रूप से हाथ-पांव, त्वचा, नाक की परत और ऊपरी श्वसनपथ की नसों को प्रभावित करता है और इस लक्षण को 'हेनसेन डिसीज-Hansen's disease' कहते है/ इस नाम से भी जाना जाता है। 

यह त्वचा (चमड़ी) के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशिया को कमजोर करता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह एक गम्भीर वकृति, विकलांगता का कारन बन सकता है। 

कोढ़ की बीमारी कैसे होती है और ये कुष्ठ रोग की शुरुआत कैसे होती है?


रोग का प्रसार : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) रिपोर्ट के अनुसार, कुष्ठ रोग कई भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशो में स्थानिक है, भारत में प्रति 10,000 जनसँख्या पर 4.56 प्रतिशत वार्षिक मामले सामने आने की दर है। 


भारत में प्रत्येक वर्ष कुछ कुष्ठ के1,25,000 से अधिक नए रोगियों की पहचान करता है 
  

राष्ट्रीय कुशल उन्नमूलन कार्यक्रम (NLEP):


  • यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत केंद्र प्रायोजित योजना है। 
  • भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कुष्ठ रोग के उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है, अर्थात प्रति 10000 आबादी पर 1 से काम मामले के रूप में परिभाषित किया गया है। 
  • NLEP का लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रत्येक जिले में कुष्ठ रोग को समाप्त करना है,  जागरूकता को बढ़ावा देने और भेदभाव के मुद्दों को सम्बोधित करने के लिए वर्ष 2017 में स्वस्थ्य जागरूकता अभियान शुरुआत की है 

कुष्ठ रोग कैसे ठीक होता है?


कुष्ठ रोग का इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से किया जाता है। कुष्ठ भी दो तरह के होते हैं, जिनके इलाज का कोर्स भी अलग-अलग मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीआर) से किया जाता है। पालीबेसिलरी : पांच या उससे कम चकत्ते व कम से कम एक नस के उसकी चपेट में आने को पीबी (पालीबेसिलरी) कहते हैं। यह कम संक्रामक होते।

कुष्ठ जनित दिव्यांगता का सर्जरी से निदान


कुष्ठ रोग को कोढ़ भी कहते है यह बीमारी ठीक हो सकती है अगर इसे समय पर इलाज कराया जाये अच्छे डॉक्टर से जिनको इसके बारे में अच्छी जानकारी हो जैसे : AIIMS Doctors Or ALL INDIA INSTITUTE OF AAYURVEDA


कुष्ठ जनित दिव्यांगता का सर्जरी से निदान
कुष्ठ जनित दिव्यांगता का सर्जरी से निदान Image source: depositphotos.com


Source: jagran.com

क्या आप जानते है? यह हर व्यक्ति की कंडीशन पर निर्भर करता है कि उसे ठीक होने में कितना वक्त लगेगा। 


कृपया आप इस बीमारी में बिल्कुल भी देर ना करे कही ऐसा ना हो की रोगी की यह बीमारी लाइलाज होने के स्तर पर पहुंच चुकी है।

भारतीय समाज में लंबे समय तक कोढ़ की बीमारी को शाप या भगवान द्वारा दिया गया दंड माना जाता रहा है। लेकिन ऐसा है बिल्कुल भी नहीं है यह पहले से की गयी कल्पना के आधार पर लोग कहते आ रहे है. भले ही उस काल में ऐसा रहा हो लेकिन आज के समय में कुष्ठ रोग लाइफस्टाइल और पोषण की कमी से जुड़ी एक समस्या है।

कोढ़ या कुष्ठ की बीमारी उन लोगों पर जल्दी हावी हो जाती है, जिनके शरीर में पोषण की कमी होती है और यह उस समय भी हो सकता है जब इंसानी शरीर को बिल्कुल भी पोषण ना मिल रहा हो एक लम्बे समय से 


Kushtarog: कुष्ठ रोग के लक्षण और इलाज के बारे में वो सब जो आपको पता होना चाहिए


कुष्ठ रोग या कोढ़ की बीमारी ठीक हो सकती है। यह हर व्यक्ति की कंडीशन पर निर्भर करता है कि उसे ठीक होने में कितना वक्त लगेगा या उसकी बीमारी लाइलाज होने के स्तर पर पहुंच चुकी है। यहां जानते हैं, इस बीमारी से जुड़ी कुछ रोचक बातें
 

लेप्रसी को कैसे जानें?


लेप्रसी *(कुष्ठ रोग) एक ऐसी बीमारी है जो हवा के जरिए फैलती है। लेप्रसी को हैनसेन रोग भी कहा जाता है। यह बीमारी बहुत धीमी रफ्तार से ग्रो होनेवाले बैक्टीरिया से फैलती है इसलिए पूरी तरह इसके लक्षण सामने आने में कई बार 4 से 5 साल का समय भी लग जाता है। जिस बैक्टीरिया के कारण यह बीमारी फैलती है, उसे माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रै कहा जाता है। इसी कारण इस बीमारी का इंग्लिश नेम लेप्रसी रखा गया।
  

क्या लेप्रसी छुआ-छूत की बीमारी है?


  • उत्तर है हा! लेप्रसी यानी कोढ़ एक ऐसी बीमारी है जो हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। हवा में ये बैक्टीरिया या किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। इसलिए इसे संक्रामक रोग भी कहते हैं। 
  • यानी यह संक्रमण या कहिए कि सांस के जरिए फैलती है। अगर आप इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाएंगे या उसे छू लेंगे तो आपको यह बीमारी बिल्कुल नहीं होगी। लेकिन आप सतर्कता रख सकते है।
  • लेकिन अगर रोगी के खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में मौजूद नमी के साथ ट्यूनिंग करके खुद को Develope कर लेता है और आप उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेते हैं तो इस तरह की स्थितियां वहां बन जाती है। और ज्यादातर चांस कि आप इस बीमारी से संक्रमित हो जाएं। 

छुआछूत और संक्रमण का अंतर वाले बीमारी में अंतर :



  1. अगर हम बात करे तो यह आमतौर पर संक्रमण यानी इंफेक्शन और छुआछूत यानी टचेबिली को एक ही तरह के रोग माना जाता है। लेकिन इनमें जो Headline main डिफरेंस वो बहुत बारीक सा अंतर होता है, जहाँ संक्रामक रोग श्वांस और हवा के जरिए फैलते हैं। वहीं, छुआछूत की बीमारी एक-दूसरे को छूने और एक-दूसरे की इस्तेमाल की गई चीजों को उपयोग में लाने से होती है। 
  2. जबकि कुछ रोग ऐसे भी होते हैं जो सांस और छुआछूत दोनों से फैलते हैं। यह तभी होता है, जब बीमारी फैलानेवाले बैक्टीरिया समाने वाले व्यक्ति पर अपनी पकड़ बना लेते हैं या उसके अंदर पूरी तरह से फैल चूका होते हैं, जिसे एक स्वस्थ व्यक्ति इस्तेमाल में ले रहा है।

लेप्रसी के लक्षण अथवा कुष्ठ रोग की पहचान कैसे करे?


लेप्रसी या कोढ़ के दौरान हमारे शरीर के कुछ हिस्सों पर सफेद चकत्ते यानी सफेद निशान पड़ने लगते हैं। ये निशान सुन्न होते हैं यानी इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है। अगर आप इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो आपको दर्द का अहसास नहीं होगा। ये पैच या धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर होने शुरू हो सकते हैं, अगर आपने इसका इलाज ठीक से ना करायेंगे तो यह संभावना पूरे शरीर में होने की हो सकती हैं।

  • सिर्फ चुभन ही नहीं बल्कि लेप्रसी (कुष्ठ) के मरीज को शरीर के विभिन्न अंगों पर, और खासतौर से हाथ-पैर में ठंडे या गर्म मौसम से है। 
  • इसमें रोगी को वस्तु का अहसास नहीं होता है। 
  • प्रभावित अंगों में चोट लगने, जलने या कटने का भी पता नहीं चलता है। 
  • जिससे यह बीमारी अधिक भयानक रूप लेने लगती हैं और शरीर को गलाने लगती है।


लेप्रसी के मरीज को पलक झपकने में दिक्कत होने लगती है। क्योंकि लेप्रै बैक्टीरिया मरीज की आंखों की नसों पर हावी होकर उनके सेंसेशन और सिग्नल्स को प्रभावित करता है। ऐसे में पेशंट को पलक झपकने की याद नही आती और पलक झपक भी नहीं पाती। इससे हर समय खुला रहने के कारण आंखें ड्राई होने लगती हैं और हमारी देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। आंखों से संबंधित कई रोग पनपने लगते हैं।

इस बीमारी में ये सावधानियां जरूर बरतें


अगर आपके घर में या आस-पास कोई इस तरह का व्यक्ति है, जिसकी आंखों में लगातार पानी आ रहा हो, हाथ पैर में छाले हो रहे हों, शरीर के कुछ हिस्से में गर्म-ठंडे का अहसास नहीं हो रहा हो या शरीर में सुन्नता बढ़ रही हो।

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