120 किलो सोने से बना काशी विश्वनाथ मंदिर और जगमग हुआ काशी | Kashi Vishwanath Temple


 चर्चा में क्यूँ काशी विश्वनाथ मंदिर : 

अभी हाल ही में चर्चा में रहा काशी विश्वनाथ मंदिर जिसे 120 किलो सोने से बनाया गया इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 1 March 2022 महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर किया है। आपको बता दे की इतिहासकारो के मुताबिक इस मंदिर का ऊपरी हिस्सा पहले से ही सोने का था ऐसा मान्यताओं में कहा जाता है की ये मंदिर पहले पूरी तरह सोने की ही बनी थी, मगर कुछ आक्रमणकरियो ने इसे नष्ट कर दिया था जिसे उस समय के तत्कालीन राजाओ ने पुनः ठीक कराया था।

kashi vishwanath temple 120 kg gold


ये तस्वीर कहीं और की नहीं बल्कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ के मंदिर की है जो अब नीचे से ऊपर तक स्वर्ण आभा से दमकता नजर आएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में शिखर के स्वर्ण मंडित होने के 169 साल बाद मंदिर का गर्भगृह भी अब पूरी तरह से स्वर्णिम आभा से चमक उठा है। महाशिवरात्रि पर बाबा के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं को काशीपुराधिपति के भव्य, दिव्य और नव्य धाम के साथ ही मंदिर की स्वर्णिम आभा के भी दर्शन होंगे।

जानकारी के अनुसार, 120 Kg सोना का उपयोग गर्भ गृह और बाहर की दीवारों को मिलाकर लगाया जा रहा है। गर्भ गृह के अंदर की दीवारें को स्वर्ण मंडित किया जा चुका हैं। अब बाहर की दीवारों पर स्वर्ण पत्तर लगाया जाना बाकी है। महाशिवरात्रि यानि कि 1 मार्च से पहले ही दीवारों पर सोने के पत्तर लग जाएंगे। इसके बाद बाबा विश्वनाथ की आभा और चमक देखने लायक होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में पहली बार स्वर्ण मंडित गर्भगृह में जलाभिषेक किया और Commissioner दीपक अग्रवाल से भी बातचीत कर गर्भ गृह में चल रहे निर्माण कार्य के बारे में जानकारी ली। मंदिर प्रशासन ने बताया कि दक्षिण भारतीय दान दाताओं द्वारा स्वर्ण पत्तर लगाने का काम किया जा रहा है। हालांकि अभी तक उनके नाम गुप्त रखे गये है। गुजरात से आई विशेषज्ञों की टीम गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने में लगी हुई है। दरसअल, वर्ष 2012 में ही मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने का प्लान तैयार किया गया था। मगर, IIT-BHU सिविल इंजीनियरों द्वारा परीक्षण कर बताया गया कि गर्भगृह के दीवारें इतना भार सहन नहीं कर सकतीं । जिसके बाद यह योजना आगे नहीं बढ़ सकीं थी।
पिछले वर्ष 13 दिसंबर को जब Corridor का निर्माण पूरा हो गया, तब गर्भगृह की दीवारों को मजबूती मिली। इसके बाद पूरे गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने का फैसला लिया गया।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास:

ahilaya bai holkar महारानी अहिल्याबाई होल्कर


काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। वर्ष 1835 में पंजाब के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराया था। तब साढ़े 22 मन सोना लगा था और अब 187 वर्ष बाद 120 Kg सोने से स्वर्ण मंडित कराने का काम लगभग पूरा हो चुका है।

Readmore...



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें